Wednesday, 28 October 2015

कार्तिक मास का महात्म्य

॥श्रीहरिः॥
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कार्तिक मास का महात्म्य :

* कार्तिक मास के समान कोई मास नही, सतयुग के समान कोई युग नही, वेद के समान कोई शास्त्र नही और गंगा जी के सामान कोई तीर्थ नही |
* कार्तिक मास में पालने योग्य नियम –
* दीपदान करें, तुलसी वन या तुलसी के पौधे लगाये, तुलसी को सुबह आधा-एक गिलास पानी देना, स्वर्ण दान का फल देता है |
* भूमि पर शयन अथवा गद्दा हटाकर, सादा गुदड़ी बिछा कर तख़्त पर शयन तथा ब्रह्मचर्य का पालन करने से जीवात्मा का उद्धार होता है |
* उड़द, मसूर आदि भारी चीजों का त्याग तथा तिल का दान करें तथा गंगा स्नान करे न सम्भव हो तो मानसिक स्नान नदी में कर लें |
* साधू-संतो का सत्संग, जीवन चरित्र का अनुसरण करके, मोक्ष प्राप्ति का इरादा बना ले |
* आंवले के वृक्ष की छाया में भोजन करने से एक वर्ष तक के अनगिनत पाप नष्ट हो जाते हैं, आंवले के उबटन से स्नान करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है, और अधिक प्रसन्नता मिलती है, संक्रांति, ग्रहण और रविवार को आंवले का उपयोग नही करना चाहिये |
. विष्णु सहस्र नाम, श्रीगीता जी , रामायण, मानस या भागवत आदि का पाठ करें।
॥श्रीहरि

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