मानो न मानो पति पत्नी नही, भाई और बहिन के प्रेम से जुडी है करवा चौथ की कहानी
आगामी 30 अक्टूबर 2015 को करवा चौथ का व्रत/पर्व है, इस दिन महिलाये अपने पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास रखती है और दिन भर भूकी रह के चाँद उगने के बाद अपने पति को देख पानी पि के अपना व्रत तोड़ती है. ऐसी मान्यता है की ऐसा करने पर चौथ माता विवाहिता के पति को चिरायु का वरदान देती है, जो विधवाएं है वो ये व्रत अपने पुत्र की लम्बी आयु के लिए रखती है.
लेकिन एक बात सुन के आप चौंक जायेंगे की करवा चौथ के व्रत की कथा की अगर बात करें तो उसमे पति पत्नी नहीं बल्कि और बहिन के प्रेम की भी मिसाल मिलती है. कथा इस प्रकार है, एक बहिन शादी के बाद अपने मायके आई हुई थी और तभी करवा चौथ का व्रत आया.
बहन दिन भर की भूखी थी ये देख भाइयो ने उसे व्रत न करने की सलाह दी लेकिन वो नही मानी लेकिन भाई अपने बहिन के प्यार में इतने बावले हो गए की उन्हें करवा चौथ के व्रत की महिमा का भी ध्यान न रहा. बहिन की हालत देख भाइयो से रहा न गया पांच भाइयो ने मिल के एक योजना बनाई, भाइयो ने पीपल के पेड़ में चढ़ के क्रतिम चाँद बनाया और उसे देख के बहिन का व्रत खुलवाया
लेकिन असल में तो चाँद अभी उदय ही नही हुआ था, इससे क्रोध में आके चौथ माता ने विवाहिता के पति के प्राण हर लिए. ये खबर जब पत्नी को पता चली तो वो दौड़ के अपने पति की देह के पास पहुंची और विलाप करने लगी उसका रुदन सुन एक महिला उसका उपहास उड़ाने लगी और उसे बताया की किस प्रकार उसके व्रत तोड़ने के कारन ही उसे विधवा होना पड़ा है.
तब विवाहिता के विलाप पर महिला (जो की चौथ माता थी) का दिल पसीजा तो उसने पति को पुनः जीवित करने का उपाय बताया जिसके अनुसार महिला को 12 महीनो की चौथ का व्रत करना था. तब तक उसके पति की देह सुरक्षित रखी गई और जब अगले वर्ष करवा चौथ का व्रत सम्पूर्ण हुआ तो उसका पति वापस जीवित हो उठा.
इस तरह इस कथा में पत्नी द्वारा अपने सुहाग से प्यार बताया गया है लेकिन बहिन के भूखी भर रहने से भाइयो की मनोधशा का भी इसमें खासा चित्रण है. लेकिन भाई कितना भी प्यार करे विवाहिता के लिए उसके पति से बढ़ के इस दुनिया में कोई भी नही है.
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