बात हजारो वर्षो पूर्व की है जब भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओ से पुरे वृन्दावन में धूम मचा रही थी, ऐसे में ही उन्होंने इंद्र के घमंड को चूर करने की सोची. मथुरा वृन्दावन और समस्त ब्रज क्षेत्र के लोग दीवपळी के अगले दिन इंद्र की पूजा करते थे, उनकी मान्यता थी की अगर ऐसा नही करेंगे तो इंद्र देव नाराज हो जायेंगे.
लेकिन ऐसे में कृष्ण ने सबकी समझाया की असल में वर्षा का कारन इंद्र देव नही बल्कि गोवर्धन पर्वत है, जिसकी हरियाली बदलो को कर्षित करती है. गोवर्धन पर्वत की ऊंचाई से बदल घिर के वंही बरसते है उसी से हमारी गायो को चारा मिलता है, ब्रजमंडल की खुशहाली का कारण गोवर्धन पर्वत है न की इंद्र देव.
सबको हालाँकि डर लग रहा था लेकिन बाद में कृष्ण की बात समझ में आ गई और वृन्दावन के वासियो ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की और इंद्र को चढ़ाये जाने वाली सारी सामग्री गोवर्धन को चढ़ी, गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा की गई और साथ में गौ धन यानी गायो की भी पूजा की गई.
जब ये बात इंद्र को पता चली तो उसके क्रोध की सीमा न रही, इंद्र ने वायु जल देवता को वृन्दावन पे कहर ढाने के लिए भेजा. लगातार तेज हवाई और वर्षा तूफान शुरू हो गए, तब पुरे नगर वासी नन्द बाबा के यंहा पहुंचे और कृष्ण के कहे अनुसार करने पर इंद्र देव के प्रकोप का उलाहना देने लगे.
तब भगवान कृष्ण ने सबको गोवर्धन पर्वत की तरफ जाने को कहा, उन्होंने कहा की गोवर्धन पर्वत उनकी रक्षा करेंगे और देखते ही देखते पूरा नगर अपने पशुधन समेत गोवर्धन पर्वत के पास पहुंचा. तब स्वयं इंद्र भी आ पहुंचा और बारिश ओले आदि मौसमी विपदा की हद पार कर दी.
तब भगवान कृष्ण ने अपनी दहिये हाथ की सबसे छोटी अंगुली मात्र पर गोवर्धन को उठा लिया और सारे वृन्दावन वासी उसकी ओट में डट गए. लगातार सात दिन और सात रातों तक बारिश और तूफान चला लेकिन वृन्दावन वासी गोवर्धन पर्वत की ओट में सुरक्षित थे.
तब इंद्र को कृष्ण की हक़ीक़त का ज्ञान हुआ और उसने तुरंत अपने सारे प्रकोप रोके और भगवान कृष्ण से क्षमा याचना की, तब इंद्र को माफ़ी मिली और तब से ही इंद्र की पूजा बंद हो गई. उसी दिन से पुरे भारत भर में दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा होने लगी.
पूरा भारत गोवर्धन पर्वत की पूजा के लिए नही पहुँच सकता था इसलिए भगवान कृष्ण ने गाय के गोबर से छोटा पर्वत बना उसकी ही पूजा और परिक्रमा को गोवर्धन पर्वत की पूजा के तुल्य बता दिया था. गोवर्धन का अर्थ है गौ धन, मतलब गाय यानि गाय भी गोवर्धन इसलिए भारत में कई स्थानो पर गाय की भी इस दिन पूजा की जाती है
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